आखिर मरकर कहाँ गया ? (ऑडियो सहित) Aakhir markar kaha gaya (prerak kahani) with audio

Written by vedictale

September 28, 2021

आखिर मरकर कहाँ गया ! Prerak kahani hindi me

 

आखिर मरकर कहाँ गया ?

ये बात उस समय की है जब पढने के लिए लोग काशी जाया करते थे और वहाँ से विद्वान बनकर अपने शहर वापिस लौटा करते थे । एक बार की बात है ! एक विद्वान ब्राह्मण काशी से विद्या प्राप्त करके अपने शहर की और लौट रहा था । रास्ते में कई औऱ शहर पडते थे । जब वह किसी शहर से गुजर रहा था, तब अचानक तेज बारिश शुरु हो गयी । उसके पास छाता भी नहीं था । अतः वह बारिश से बचने के लिए एक मकान के दरवाजे के पास आकर खडा हो गया । वह मकान एक वैश्या का था । जब वह ब्राह्मण उस मकान के दरवाजे पर आकर खडा हुआ, तभी थोडी देर में वहाँ से कुछ लोग एक मुर्दे को लेकर ‘‘राम नाम सत्य है’’ कहते हुए गुजरने लगे । ब्राह्मण भी खडा खडा ये देख रहा था । उसी समय उस मकान के अंदर से एक स्त्री ने अपनी नौकरानी को आवाज लगाकर कहा ! कि अरे ! जरा जाकर पता तो लगा कि यह मुर्दा स्वर्ग में गया है कि नरक में ? नौकरानी घर से बाहर निकलकर चली गयी और कुछ देर बाद घर में वापिस आयी और बोली नरक में गया है । ब्राह्मण खडा खडा सब देख रहा था । तभी वहाँ से दुसरा मुर्दा गुजरा उसी समय फिर से वो स्त्री ने आवाज लगाकर अपनी नौकरानी को बोला अरी जा इसे भी देखकर आ की ये स्वर्ग में गया है कि नरक में ? नौकरानी फिर घर से बाहर गयी और थोडी देर बाद अंदर आकर कहा कि ये वाला तो स्वर्ग में गया है ।

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विद्वान ब्राह्मण आश्चर्य में पड गया । सोचने लगा कि मैंने इतने वर्षों तक काशी में पढाई की । इतनी पुस्तकें पढी, पर आज तक यह नहीं पता लग सका कि मरने वाला कहाँ जाता है ? और इन्होंने एक पल में पता लगा लिया । यह ज्ञान तो मुझे भी इनसे सीखना चाहिए ।

वह विद्वान ब्राह्मण कुछ सोचकर उस घर के अंदर चला गया और  उसने उस स्त्री से एक बार मिलने का आग्रह किया । जब उसे अंदर ले जाया गया, तो वैश्या ने पूछा – कि ब्राह्मण देव यहाँ कैसे आना हुआ !

ब्राह्मण ने पूछा – माताजी ! मैं एक बात पूछना चाहता हूँ ? मेरी शंका का समाधान किजीये ।

वैश्या बोली – ब्राह्मण देव मुझे माता जी न कहिये ?

ब्राह्मण बोला – हमारे लिये तो परायी स्त्री माता, बहन या बेटी के समान ही होती है । हमारे हिन्दू धर्म में हमें यही शिक्षा दी गयी है ।

तब वैश्या बोली – धन्य है ब्राह्मण देव ! बताईये आप मुझसे क्या पूछना चाहते हैं ?

ब्राह्मण बोला – बहन ! मुझे ये बताईये कि अभी जब आपके घर के आगे से अंतिम यात्रा पसार हो रही थी । तब दो बार आपने अपनी नौकरानी को यह कहकर भेजा की, पता लगाकर आओ की ये कहाँ गया है, स्वर्ग में, या नरक में । पहली बार तो उसने कहा नरक में औऱ दूसरी बार उसने दूसरे व्यक्ति के लिए कहा कि वो स्वर्ग में गया है ।

ब्राह्मण बोला – बहन ! ये कौनसी विद्या है जिससे ये जाना जा सकता है कि कौन स्वर्ग में गया और कौन नरक में ? मैं भी उस विद्या को जानना चाहता हूँ । इसी लिये यहाँ आया हूँ ।

वैश्या ने तुरंत नौकरानी को आवाज लगाई और कहा की इन ब्राह्मण को बताओ कि तुमने ये कैसे पता लगाया कि मरने वाला स्वर्ग में गया है या नरक में ।

नौकरानी बोली – जब आपने मुझसे पता लगाने को कहा तब मैं बाहर निकलकर पहले व्यक्ति के घर के पास पहुँची तो वहाँ लोग बैठे थे और आपस में बातें कर रहे थे कि अच्छा हुआ ये मर गया । इसने तो हमारी सबकी नाक में दम कर रखा था । चोरी करना, झगडे करवाना, निंदा करना, झूठी गवाही देना, मारपीट करना, गंदे काम करना ही इसका पेशा था पूरी कालोनी के लोग इससे परेशान थे अच्छा हुआ जो ये मर गया बडी राहत मिली । आफत मिट गयी । उसके घर पर हो रही इन बातें सुनकर मैंने जाना कि इसने जीवन भर पाप किये हैं । इसलिए ये नरक में गया है ।

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और जब मैं दूसरे व्यक्ति के घर पहुँची तो लोग बहुत दुखी थे और आपस में बातें कर रहे थे की आज हमारी कालोनी का भला आदमी चला गया । ये हमेशा भगवन्नाम का जाप किया करता था, जब भी किसी को जरूरत होती हमेशा तन मन धन से सहायता किया करता, साधू-संतों के सत्संग में जाया करता, सत्संग किया करता था, बिमार, बूढे, और बच्चों की भी सेवा किया करता, पक्षियों को दाना पानी देता, मूक पशुओं को भी रोटी दिया करता हमेशा धर्म कार्य में ही लगा रहता था । यह तो देवता पुरुष था आज हमारी कालोनी सूनी हो गयी । उन सबकी बातों को सुनकर मुझे लगा की ये व्यक्ति स्वर्ग में गया । इस लिए मैंने आपको आकर कहा कि पहला नरक में और दूसरा स्वर्ग में गया है ।

ब्राह्मण बोला – ये बातें तो हमारे धर्म शास्त्रों में भी लिखी हैं । कि अच्छे कर्म व्यक्ति को स्वर्ग में और बुरे कर्म व्यक्ति को नरक में ले जाते हैं । इसलिए हमें अपने जीवन काल में सदैव परहित के अच्छे कार्य ही करने चाहिए । यह बात मेरी समझ में आज अच्छी तरह से आ गयी है ।

प्रेरणा – इस कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि सदैव परहित के कार्यों में लगे रहना चाहिए । भले कार्यों का फल भी सदैव अच्छा ही होता है ।


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