जैसी करनी वैसी भरनी ।
ये एक रोचक कहानी है । प्राचीन काल की बात है । जंगल में एक भैस औऱ घोडा रहा करते थे । दोनों में मित्रता थी । वो जो कुछ करते साथ मिलकर किया करते थे । एक ही खेत में चरने जाया करते थे, एक ही रास्ते पर टहला करते थे, एक साथ एक ही तालाब पर पानी पिया करते थे । दोनों बडे आनंद से जंगल में रहा करते थे ।
एक दिन दोनों दोस्तों में किसी बात को लेकर थोडी तकरार हो गयी । जब वे घोडा और भैंस पानी पीने तालाब पर गये तो भैंस ने घोडे को अपने बडे बडे सींग मारकर वहाँ से भगा दिया । अब दोस्तों में तकरार तो हो ही जाती है पर एक दूसरे को मनाना चाहिए न की नाराज होना चाहिए । परंतु इधर उल्टा ही हुआ, घोडे को जब लगा की वो भैंस से नहीं जीत सकता तो वहाँ से भागकर वो एक आदमी के पास पहुँचा । घोडे ने उस आदमी से भैंसे को सबक सिखाने को कहा ।
मनुष्य बोला – मैं उस भैंस को कैसे सबक सिखा सकता हूँ । उसके तो बडे बडे सिंग हैं और वह मुझसे कितनी बलवान है, मैं भला कैसे उसे पकड सकता हूँ । न बाबा न मुझसे न होगा । इनसान ने मना कर दिया ।
घोडा आदमी से बोला – तुम एक मोटा डंडा लेकर मेरी पीठ पर बैठ जाओ । मैं बहुत तेज दौडता हूँ और भैंस तो आलसी है । तुम उसे डंडे से मार-मारकर उसे कमजोर कर देना और फिर रस्सी से बाँध लेना ।
आदमी बोला – मैं भला उस भैंस को बाँधकर क्या करूँगा । मुझे उसकी क्या जरूरत है ।
घोडा बोला – भैंस बहुत मीठा दूध देती है, जो तुम्हें बहुत अच्छा भी लगेगा । तुम उसे निकालकर पी लिया करना ।
आदमी को घोडे की बात पसंद आ गयी । उसने डंडा उठाया और बैठ गया घोडे की पीठ पर । दोनों भैंस के पास पहुँचे और भैस को डंडे से पीटने लगे । जब भैस अधमरी होकर गिर गयी, तो आदमी ने उसे बाँध लिया और अपने साथ बाँधकर घर ले आया । बदला ले लेने के बाद घोडा बहुत खुश हुआ ।
घोडा बोला – अच्छा अब मैं चलता हूँ ।
आदमी घोडे की लगाम खींचते हुए बोला – तुम कहाँ चले !
घोडा बोला – मैं अपने घर जाऊँगा और जंगल में हरी हरी घाँस चरूँगा । अब मुझे छोड दो !
आदमी उस घोडे की इस बात पर जोर जोर स हँसने लगा । आदमी बोला – मैं नहीं जानता था तुम इतना तेज दौड भी सकते हो औऱ सवारी के काम भी आते हो । मैं अब तुमको नहीं जाने दूँगा । तुमको भी बाँधकर अपने पास ही रखूँगा । मैं भैंस का दूध पीऊँगा और तुम्हारी सवारी किया करूँगा ।
घोडे को बहुत पछतावा होने लगा पर अब क्या हो सकता था । अपने दोस्त भैंसे के साथ घोडे ने जो दगा किया था वैसा ही फल घोडे को मिल गया था । घोडे और भैंसे को आदमी ने बंदी बना लिया था । जैसा उस घोडे ने भैंसे के साथ किया वैसा ही फल घोडे को भोगना पडा ।
प्रेरणा – हमें इस कहानी से प्रेरणा मिलती है कि संगठन में शक्ति है । हमेशा वफादार रहें, एक दूसरे को कभी धोखा न दें ।
क्या आप ये जानते हैं ! हमारा भारत देश इस वजह से गुलाम नहीं हुआ की हमारे पास वीर योद्धा नहीं थे । वरन हमारे भारत देश को इस वजह से गुलामी का मुख देखना पडा ! क्योंकी हमारे ही अपने चंद गद्दारों ने ! दुश्मनों का साथ देकर ! देश गुलाम होने दिया…