लोभ की सजा !
पुराने समय कि बात है एक गाँव में एक ब्राह्मण रहा करते थे । वे बडे ही सज्जन सीधे-साधे व्यक्ति थे । पूजा पाठ कराकर वे अपनी आजीवीका चलाया करते थे । एक बार उनके देश में अकाल पडा और अनाज की भी कमी हो गयी । ब्राह्मण को भी कहीं से कुछ भी न मिल सका । ऐसे समय में कौन उनसे पूजा पाठ करवाता । वे बनीये के पास पहुँचे तो बनीये ने भी उन्हें आटा-दाल-चावल देने से मना कर दिया और पैसे लाने को कहा । उनके बार-बार आग्रह करने पर भी उन्हें डाँटकर वहाँ से भगा दिया । उन ब्राह्मण को कई दिनों तक भोजन न मिल सका । वे परोपकारी ब्राह्मण सोचने लगे जब मरना ही है, तो ये शरीर किसी जीव के काम ही आ जाये ।
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ऐसा सोचकर वह ब्राह्मण जंगल की ओर चले गये । उन्होंने स्नानादि करके शुद्ध होकर जंगल में बैठकर भगवन्नाम का जाप किया, ध्यान करके भगवान से प्रार्थना की । तभी वहाँ एक भयानक शेर आ गया । शेर को देखकर ब्राह्मण ने सोचा अच्छा ही हुआ, की ये शेर आ गया, ये मुझे खाकर अपना पेट तो भर लेगा । इसी आशा से वह परोपकारी ब्राह्मण उस शेर की ओर बढे और उन्होने शेर के पास पहुँचकर शेर से कहा कि मुझे खाकर तुम अपना पेट भर लो ।
शेर बोला – हे ब्राह्मण ! तुम क्यों अपने प्राण देना चाहते हो ।
ब्राह्मण बोले की अकाल के कारण कहीं पर भी भोजन नहीं है । सभी जीव भूख से मर रहे हैं इसलिए मैं भी अपने प्राण तुमको अर्पित करता हूँ । ताकी मेरे शरीर को खाकर कम से कम तुम्हारा पेट तो भर जाये ।
वह शेर वास्तव में जंगल के देवता थे । जो शेर का रूप धारण करके ब्राह्मण की परीक्षा करने आये थे । उन्होंने प्रसन्न होकर ब्राह्मण को 500 सोने के सिक्के दीये । ब्राह्मण बडी खुशी से उसे लेकर घर लौटा और तुरंत ही वह कुछ सोने के सिक्के लेकर बनिये से आटा-दाल खरीदने चला गया । बनीये ने पूछा की ये सोने के सिक्के कहाँ से लाये । ब्राह्मण ने जंगल में घटी पूरी घटना, सब उस बनीये को बता दी और आटा-दाल-चावल लेकर अपने घर पर आ गया ।
बनीया लोभी था, वह रात को उठा और वन में चला गया । उसने भी उस ब्राह्मण की तरह स्नान करके भगवान के नाम का जप करने और ध्यान करने का ढोंग किया । वहाँ उसके पास भी शेर आया । शेर को देखकर बनिये ने ब्राह्मण की ही तरह उस शेर को अपने को खा लेने के लिए कहा ।
शेर ने कहा – बनीये मैं सब जानता हूँ । तेरे जैसे लोभी को तो मैं कबका खा गया होता । पर एक तो तूने भगवन्नाम जाप किया और दूसरा तुझसे लोगों को शिक्षा मिले की लोभ करने की क्या सजा होती है इसलिए तुझे दंड देकर जीवित छोड रहा हूँ । शेर ने एक जोरदार पंजा उसके मुँह पर दे मारा । जिससे उसका कान कट गया आँख बाहर निकल आयी । वह भागता हुआ अपने गाँव आया । बनीये को उसके लोभ का फल मिल चुका था ।
प्रेरणा – इस कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए । जरूरत मंदों, गरीब और असहायों की आवश्यकता के समय मदद अवश्य करनी चाहिए ।