समझदार व्यापारी | samajhdar vayapri | hindi prerak kahani

Written by vedictale

September 8, 2021

ये बात उस समय की है जब बैलों पर व्यापार होता था । व्यापारी एक जगह से दूसरी जगह ! बैलों पर लादकर सामान बेचा करते थे । एक बार की बात है, एक व्यापारी बैलों पर मुल्तानी मिट्टी लादकर दिल्ली बेचने जा रहा था । रास्ते में कई गाँवों से गुजरते समय उस व्यापारी की आधी मुल्तानी मिट्टी तो बिक गयी, परंतु उससे उसकी आधी बैलगाडी भी खाली हो गयी । अब आधे में सामान और आधी गाडी खाली ! तो ये बैलों की पीठपर टिकें कैसे ! क्योंकि भार सारा एक तरफ हो गया ! तभी ये देखकर नौकरों ने अपने मालिक से पूछा – मालिक ! अब क्या करें !

व्यापारी थोडी देर तक कुछ सोचता रहा और बोला – अरे सोचते क्या हो, यह राजिस्थान है राजिस्थान ! खाली जगह पर यहाँ की रेत भर लो ! यहाँ रेत की कमी थोडे ही है !

नौकरों ने वैसा ही किया एक तरफ बोरों में मुल्तानी मिट्टी तो दूसरी तरफ बोरों में रेत भर ली । तभी दिल्ली से एक दूसरा व्यापारी सामने से आ रहा था । उसने जब बैलों पर रेत को लादते देखा तो बोला – अरे ! गाडी में रेत क्यों भर रहे है ! ये तुम क्या मुर्खता कर रहे हो ! रेत का भी कोई मोल होता है ! बैलों पर मुफ्त में ही इतना भार ढोकर उनको परेशान कर रहे हो ! तुम और तुम्हारे मालिक दोनों के पास ही दिमाग कम लगता है । दोनों तरफ आधे आधे बोरे मुल्तानी मिट्टी के बाँध दो कम से कम आधे बैल तो बिना भार के चलेंगे ।

नौकरों ने कहा कि साहब आपकी बात तो ठीक लगती है । पर हम अपने मालिक से बिना पुछे कुछ नहीं कर सकते आप हमारे मालिक से जाकर कहिये । अगर वे कहेंगे तो हम ऐसा ही करेंगे । दूसरा व्यापारी पहले व्यापारी से जाकर बोला वही बात बोला जो उसने नौकरों से बोली थी ।

पहले व्यापारी ने पूछा – महाशय ! आप कहाँ कहाँ से हैं और कहाँ जा रहे हैं । दूसरा व्यापारी बोला मैं राजिस्थान का ही रहने वाला हूँ । पैसे कमाने दिल्ली गया था ! कुछ दिन दिल्ली में व्यापार किया ! पर फिर बिमार पड गया । जो पैसे कमाये वो भी बिमारी औऱ आने जाने के किराये में खर्च हो गये । व्यापार में घाटा हो गया । मेरे पास कुछ बचा नहीं है इसलिए घर जा रहा हूँ ।

दूसरे व्यापारी की इन बातों को सुनकर पहला व्यापारी अपने नौकरों से बोला रेत के जो बोरे बंधे हैं उन्हें वैसे ही बंधे रहने दो । इसकी सलाह मतलो और हम जैसे चल रहे हैं वैसे ही चलते रहो ! सभी नौकरों को अपने सेठ की बातों पर बडा आश्चर्य हुआ और वे सभी चलते चलते दिल्ली व्यापार मंडी में पहुँच गये ।

दिल्ली पहुँचकर व्यापारी ने अपने नोकरों को बुलाया और कहा – जमीन पर एक तरफ मुल्तानी मिट्टी और दूसरी तरफ रेत का ढेर लगा दो ! और बैलों को खोलकर पानी और चारा दे दो ! नौकरों ने वैसा ही किया ! परंतु सारे नौकर सोचने लगे कि मुल्तानी मिट्टी तो ठीक है पर हमारे सेठ इस रेत से कैसे मुनाफा कमायेंगे ! उधर दिल्ली के बादशाह बिमार हो गये । उनके वैद्यों ने सलाह दी कि अगर बादशाह राजिस्थान के रेत के टीलों पर रहें तो उनका शरीर ठीक हो सकता है । अब बादशाह को इसके लिए राजिस्थान जाना होता ।

तब मंत्री बोले राजिस्थान क्यों जायें ? वहाँ की रेत यहीँ मंगा लेते हैं ।

बादशाह बोला – ठीक बात  है ! रेत के लिए ऊँटों को भेजा जाये ।

मंत्री बोले – ऊँटों को भेजने की भी जरूरत नहीं ! रेत तो यहीं दिल्ली के बाजार में से मिल जायेगी ।

बादशाह बोला – दिल्ली के बाजार में रेत कैसे मिल जायेगी ।

मंत्री बोले – जनाब ! यहाँ राजिस्थान से एक प्यापारी आया है और मैंने उसके पास मुल्तानी मिट्टी के साथ राजिस्थान की रेत का एक ढेर भी देखा है ।

तो बादशाह खुश होकर बोला – तो तुरंत जाओ सारी रेत खरिद कर ले आओ !

बादशाह के आदमी उसी व्यापारी के पास गये और पूछा – व्यापारी ! रेत का मोल क्या है । व्यापारी बोला – कि चाहे मुल्तानी मिट्टी खरीदो या रेत दोनों का एक ही भाव है । बैलों पर बराबर तुलकर आये हैं । बादशाह के आदमियों ने वह सारी रेत खरीद ली और व्यापारि को अच्छा मुनाफा भी हुआ ।

अब अगर पहला व्यापारी उस दुसरे व्यापारी की बातों को मानता तो इस तरह का अच्छा सौदा उसके हाथ से निकल जाता । इससे ये सिद्ध होता है की ये व्यापारी समझदार व्यापारी था ।

प्रेरणा – इस कहानी से हमें ये प्रेरणा मिलती है । हमें लोगों की बातों में आकर अपने विचारों को बार बार बदलना नहीं चाहिए । दृढ निश्चय करके अपनी मंजिल की और बढना चाहिए । एक ही जगह खोदने से कुँए से भी पानी निकल आता है जबकि अनेकों जगह छोटे छोटे गड्ढे करने से नहीं निकलता । इसलिए अपने लक्ष्य पर दृढता से लगे रहो तो मंजिल अवश्य मिलेगी ।


Share to the World!

Subscribe Here

vedictale.com की हर नई कथाओं की notification पाने के लिए नीचे अपना नाम और इमेल डालकर सबस्क्राईब करें।

New Stories

Related Stories

छिपा हुआ खजाना

छिपा हुआ खजाना

छिपा हुआ खजाना एक बार एक बूढ़ा व्यक्ति मृत्यु के कगार पर था। उनके पुत्र बहुत आलसी व्यक्ति थे। बूढ़े...

read more
error: Content is protected !! Please read here.