अहंकारी का अंततः विनाश होता है – गाय और शेर की कहानी। Ahankari ka antatah vinash hota hai – Gay aur sher ki kahani (prerak kahani)

Written by vedictale

December 29, 2022

अहंकारी का अंततः विनाश होता है

अहंकारी का अंततः विनाश होता है – गाय और शेर की कहानी। Ahankari ka antatah vinash hota hai – Gay aur sher ki kahani (prerak kahani)

 

 

एक बार की बात है। एक गाय घास चरने के लिए जंगल में गई। शाम ढलने ही वाली थी कि उसने देखा एक बाघ उसकी तरफ दबे पाँव आ रहा था। वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगी। वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा । दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई। वह बाघ भी उसका पीछा करते हुए तालाब के अंदर चला गया। तब उन्होंने देखा कि वह तालाब ज्यादा गहरा नहीं था। उसमें पानी की कमी थी। और वह कीचड़ से भरा हुआ था। उन दोनों के बीच दूरी काफी कम हो गई, लेकिन अब वह दोनों कुछ भी नहीं कर पा रहे थे। वह गाय उस कीचड़ के अंदर धीरे-धीरे धँसने लगी। वह बाघ भी उसके पास होते हुए भी उसे पकड़ नहीं पा रहा था। वह भी धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धँसने लगा। दोनों ही करीब करीब गले तक उसकी कीचड़ के अंदर फँस गए। दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे। गाय के करीब होने के बावजूद भी वह बाघ उसे नहीं पकड़ पा रहा था।

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थोड़ी देर बाद गाय ने उस बाग से पूछा – क्या तुम्हारा कोई गुरु या कोई मालिक है?

बाघ ने गुर्राते हुए कहा – मैं तो जंगल का राजा हूं। मेरा कोई मालिक नहीं। मैं खुद ही जंगल का मालिक हूं।

गाय  कहा – लेकिन तुम्हारी उस शक्ति का यहाँ पर क्या उपयोग है?

उस बाघ ने कहा – तुम भी तो फँस गई हो और मरने के करीब हो। तुम्हारी भी तो हालत मेरे ही जैसी है।

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गाय ने मुस्कुराते हुए कहा –  बिल्कुल नहीं। मेरा मालिक जब शाम को घर आएगा और मुझे वहाँ नहीं पाएगा, तो वह ढूंढते हुए यहां जरूर आएगा और मुझे इस कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले जाएगा। लेकिन तुम्हें कौन ले जाएगा?

थोड़ी ही देर में सच ही में एक आदमी वहां पर आया और गाय को कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले गया जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ कृतज्ञ-पूर्वक देख रहे थे। वे चाहते हुए भी उस बाघ को कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे क्योंकि उन्हें अपनी जान का खतरा था।

दोस्तों किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है। लेकिन मैं ही सब हूँ। मुझे किसी के सहयोग की कोई आवश्यकता नहीं है। यही अहंकार है और यही से विनाश का बीजारोपण हो जाता है। ईश्वर से बड़ा इस दुनिया में सच्चा हितैषी कोई नहीं होता । क्योंकि वही अनेक रूपों में हमारी रक्षा करता है।

इस कहानी में…

  • गाय समर्पित हृदय का प्रतीक है।
  • बाघ अहंकारी मन का प्रतीक है ।
  • और मालिक ईश्वर का प्रतीक है।
  • कीचड़ यह संसार है ।
  • और यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई है ।

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