विजयादशमी – दशहरा क्यों मनाई जाती है ?
विजयादशमी इस नाम से हि इसका अर्थ प्रगट होता है । विजय की दशमी – विजयादशमी । क्रूर एवं दुष्ट शासक दशानन रावण की हार का दिन – दशहरा । हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा के नौ दिन नवरात्रि कहे जाते हैं । इन दिनों में व्रत उपवास व माँ शक्ति की उपासना की जाती है । नवमी के बाद अर्थात दशमी के दिन ये उत्सव विजया दशमी के नाम से मनाया जाता है । इसी दिन प्रभु श्रीराम ने दुष्ट रावण का वध किया था औऱ इसी दिन माँ दुर्गा ने युद्ध में महिषासुर का अंत करके पृथ्वी को दुष्टों के भार से मुक्ति दिलाई थी । असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की, अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है ये दिन ‘विजयादशमी’ का दिन ।
हमारे धर्मशास्त्रों में विजयादशमी के बारे में क्या बताया है?
कहते हैं ऋषि पुलसत्य के कुल में उत्पन्न होने के बाद भी रावण कर्मों से राक्षसी प्रवृत्ति का ही था । इसीलिए रावण के पिता ने भी उसके अंत का रहस्य रावण की माता को पहले ही बता दिया था । रावण के काल में जनता त्राही त्राही किया करती थी । अन्याय और अधर्म की साक्षात मूर्ति था रावण । उसके काल में जितना सज्जनों पर अत्याचार हुआ करता था वो सभी शास्त्रों में वर्णित है । अकारण ही दुसरों को मारना, परस्त्री हरण, मदिरापान, जूआ, मांसाहार जैसे घृणित कर्मों का गढ बन चुका था रावण का राज्य ।
आप स्वयं ही सोचें अगर कानून या पुलिस न हो तो समाज में कितनी त्राही त्राही हो सकती है । परंतु अगर चोर, डकैत, खुनी, या दुष्ट कोई राजा बन जाये, और सभी नियमों को ताक पर रखकर राज्य करे तो क्या दशा होगी देश की । ऐसा ही था रावण का काल । आज भले ही कुछ लोगों के द्वारा भ्रांतियाँ फैलाकर रावण को अच्छा बताने की कोशिश की जा रही हो परंतु ये वही लोग हैं जो शास्त्र और धर्म को अपने अनुसार तोड मरोड कर प्रस्तुत करते हैं । अगर आपकी पत्नी, बहन, या माता पर कोई कुदृष्टी डाले या उन्हें उठाकर ले जाये । उनके साथ दुर्व्यवहार करने की चेष्टा करे तो आप क्या करेंगे । वही किया था प्रभु श्रीराम ने इसी कारण रावण के राज्य को दुष्टकाल और प्रभु श्रीराम के राज्य को रामराज्य कहकर संबोधित किया जाता है ।
प्रभू श्रीराम की रावण पर विजय की कथा
आज रामायण की कथा को कौन नहीं जानता । भगवान श्रीराम ने इस धरती को रावण के पापों से मुक्ति दिलाने के लिए और अपनी भार्या माता सीता को वापिस लाने के लिए रावण से युद्ध किया था आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी । देवताओं ने पुष्पवर्षा करके भगवान श्रीराम का अभिवादन किया था । तीनोंलोकों के लोग रावण के त्रास से पीडित थे । इसी दिन सभी को मुक्ति मिली और रावण का अंत हुआ था । इसीलिए इस दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है । इस दिन भारत भर में जगह-जगह मेले होते हैं । इस विजय उत्सव पर रामलीला का आयोजन किया जाता है । रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है । विजयदशमी को भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाता है । इसे दुर्गा पूजा या शक्ति-पूजा का पर्व भी माना जाता है ।
इस दिन कैसे करें शुभकार्यों का शुभारंभ?
इस दिन विधि पूर्वक शस्त्र पूजा भी की जाती है । हथियारों की साफ-सफाई करके उनका पूजन किया जाता है । इस दिन सभी मांगलिक कार्यों का प्रारंभ होता है । ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है ।
इस दिन लोग नये कपडे, गहनें, शस्त्र, वाहन आदि की पूजा करते हैं । इस दिन नई वस्तुएँ खरीदने का भी बहुत महत्व है । दशहरा के दिन का शुभ मुहूर्त काल कार्य सिद्धि एवं सफलता के लिए अति शुभ माना जाता है ।
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दशहरा का दिन सभी मांगलिक कार्य जैसे नामकरण, अन्नप्राशन, चौलकर्म संस्कार अर्थात मुंडन संस्कार, कर्णवेध, यज्ञोपवीत व वेदारंभ आदि संस्कार करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है । इस दिन को यात्रा तिथि भी कहा जाता है । इस दिन यात्रा का शुभारंभ करना भी शुभ माना जाता है । इस दिन भगवान के मंदिर जाना, देव दर्शन करना, शास्त्रों का पठन करना, रामायण, रामचरित्रमानस, सुंदरकाण्ड, दुर्गासप्तशति, दुर्गाचालिसा आदि ग्रंथों का पाठ करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है ।
सनातन हिन्दू धर्म के सभी त्यौहार विश्वमंगल की कामना से भरे होते हैं । अन्याय या अनाचार के ऊपर धर्म और सत्य की स्थापना और विजय का प्रतिक होते ये त्यौहार । वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से प्रेरित ये सनातन धर्म सदैव पूरे विश्व को एक कुटुम्ब मानता आया है । ये विजयादशमी का त्यौहार हमें सिखाता है कि अन्याय, अनाचार करना भी पाप है, और ऐसे दुराचार को सहना भी पाप है ।