पापांकुशा एकादशी व्रत कथा | आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में एकादशी | Papakunsha ekadashi

Written by vedictale

September 20, 2021

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा | पापांकुशा एकादशी कब आती है?

पापांकुशा एकादशी की महिमा अनंत है । क्योंकि ये व्रत मनोवांच्छित फल देकर सदगति प्रदान करता है ।

महाराज युधिष्ठिर  ने पूछा – मधुसूदन ! आप कृपा करके बतायें की आश्विन शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है और उसके व्रत का क्या प्रभाव है ।

श्रीकृष्ण बोले – हे राजन ! आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पापांकुशा एकादशी आती है । यह एकादशी सब पापों को हरने वाली है । स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली है । शरीर को नीरोगी तथा धन, धान्य, संपदा, प्रदान करने वाली है । यदि अनजाने में भी व्यक्ति इस एकादशी का उपवास कर ले तो उसे यम-यातनाएँ नहीं भोगनी पडती ।

हे नृपश्रेष्ठ ! इस के दिन व्रत, उपवास और रात में जागरण करने वाले मनुष्य अनायास ही दिव्यरूपधरकर, गरूड ध्वजा से युक्त होकर, पीताम्बर धारण कर भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त होते हैं । हे राजन ! पापांकुशा एकादशी का व्रत मातृपक्ष की दस, पितृपक्ष की दस और पत्नी के पक्ष की दस पीढियों का उद्धार करने वाला है । उस दिन भगवान वासूदेव का पूजन करना चाहिए । इससे समस्त मनोरथ पूरे होते हैं । जितेन्द्रिय तपस्वि चिरकाल तक कठोर तप करके जिस फल को पाता है । वह इस दिन भगवान गरुडध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है ।

जो पुरुष इस दिन सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाता दान करता है । उसे यमलोक नहीं जाना पडता । राजन ! दरिद्र पुरुष को भी चाहिए कि वह नहा धोकर, जप ध्यान आदि करने के पाद जितना हो सके होम, यज्ञ, अपनी क्षमतानुसार दान करके अपने इस दिन को सफल बनाये ।

जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि दिव्य कर्म करते हैं, उन्हें भयंकर यम यातनाओं से मुक्ति मिलती है । इस लोक में भी वो मानव दीर्घायु, धनाढ्य, कुलीन औऱ निरोगी होता है । इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ मनुष्य पाप करने से दुर्गति, और धार्मिक कार्य करने से स्वर्ग को प्राप्त होते हैं । अतः इस दिन प्रयत्न पूर्वक व्रत करके धार्मिक कार्यों में संलग्न रहना चाहिए ।

ऐसा कहा जाता है, इस एकादशी का व्रत निर्धन को धन, रोगी को निरोगता, दीर्घायुष्य, पुण्यफल देता है एवं पितरों को सदगति प्रदान करता है ।


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